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अग्निहोत्र विधि

अग्निहोत्र विधि  अव हम नित्यकर्म का तृतीय प्रश्न का उत्तर देते है। पञ्चभू संस्कार  पञ्चभू संस्कार जिसे प्राचीन गृह सूत्र मे लक्षणवृत भी कहते है उसको सभी संस्कारादि मै अग्नि स्थापना करना से पूर्व करना चाहिये। यह इसप्रकार है : १. यज्ञकुण्ड में स्थित धूलि को साफ करना।  २. कुण्ड को गोबर और जल से लीपना।  ३. व्रज (जो  काष्ठ का खंड होता है ) या उसके आभाव मे स्रुवमुल से यज्ञकुण्ड के बरावर तीन रेखाये पूर्व से उत्तर तक खींचना चाहिये।  ४.  व्रजसे खींची गई रेखाओं से मिट्टी को अङ्गुष्ठा और अनामिका से  अलग करे।  ५. जल से यज्ञकुण्ड को छिडके।  अग्निहोत्र पात्र   १. स्रुव -२ २. आज्यस्थाली -२  ३. प्रोक्षणी -१  ४. प्रणिता -१  ५. पञ्च पात्र और आचमनी-२ (यह गृह के जितना लोक होंगे उतने लोक केलिये एक एक ) ६. अग्निपात्र -१  ७. चिमिटा -१  ८. वज्र -१  ९. आसान -२ (यह गृह के जितना लोक होंगे उतने लोक केलिये एक एक ) १०. कुशा  ११. जल  १२. आज्य  १३...