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Showing posts from May, 2017

उपस्कारक ग्रंथ

इस ब्लॉग के हर एक पोस्ट मे मैने उपस्कारक ग्रंथ सूचि दे दिया है। मेरे वहुत सारे मित्र पूछ रहे है इस ब्लॉग के लिखने के लिए किस किस पुस्तक का सहायता लिया हूँ। मैने जिस जिस पुस्तक से अभी तक सहायता लिया हूँ, उसका सूची इसप्रकार है।   आयुर्वेदीय हितोपदेश : वैद्य रणजीत राय देसाई, श्री वैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्रा. लि., नागपुर, संस्करण २००५ ई। काश्यपीयकृषिपद्धति : कश्यप मुनि , व्यख्याकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी, संस्करण २०१३ ई।  गृहवास्तु प्रदीप : अज्ञात कृत, व्याख्याकार  डॉ. शैलजा पाण्डेय, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी, संस्करण २०१० ई। गुहरत्नभूषण : श्री मातृप्रसाद पाण्डेय, ज्योतिष प्रकाशन, वाराणसी, संस्करण २००९ ई।  ज्योतिष रत्नमाला: श्रीपति भट्टाचार्य,  डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, संस्करण २००४ ई। ज्यातिषवृतशतं : महेश्वरोपाध्याय कृत, सम्पादका एबं अनुवादक डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी, संस्करण २००८ ई। ज्यातिषसार : ज्योतिर्विद शुकदेव व...

गृहारम्भ तिथि,पक्ष और वार विचार

पक्ष के अनुसार गृहारम्भ फल विचार   अब हम पक्ष के अनुसार गृहरम्भ का फल विचार करेंगे।   हम सभी जानते है चंद्र मास मे दो पक्ष होता है। प्रथम शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। वास्तुगोपाल का लेखक के अनुसार और देवीपुराण का लेखक के अनुसार शुक्ल पक्ष मे गृहरम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु कृष्ण पक्ष मे गृहरम्भ का फल चौरभय होता है। परन्तु राजमार्ताण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त गृहरम्भ का फल शुभ होता है। उसका कारण इस प्रकार है शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से पञ्चमी पर्यन्त चन्द्रमा निर्वल होता है। इस कारण गृहरम्भ का फल अशुभ होता है। उसी प्रकार शुक्ल पक्ष पञ्चमी से सप्तमी पर्यन्त चन्द्रमा हीनवली होता है। और शुक्ल पक्ष अष्टमी से दशमी पर्यन्त चन्द्रमा मध्यवली होता है। और शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त चन्द्रमा वलबान होता है। इसीकारण शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त गृहरम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु नारद संहिता का लेखक के अनुसार शुक्ल पक्ष  के एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त और कृष्ण पक्ष के प्रत...