पक्ष के अनुसार गृहारम्भ फल विचार
अब हम पक्ष के अनुसार गृहरम्भ का फल विचार करेंगे।
अब हम पक्ष के अनुसार गृहरम्भ का फल विचार करेंगे।
हम सभी जानते है चंद्र मास मे दो पक्ष होता है।
प्रथम शुक्ल पक्ष
और दूसरा कृष्ण पक्ष।
वास्तुगोपाल का लेखक के अनुसार और देवीपुराण का लेखक के अनुसार शुक्ल पक्ष मे गृहरम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु कृष्ण पक्ष मे गृहरम्भ का फल चौरभय होता है। परन्तु राजमार्ताण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त गृहरम्भ का फल शुभ होता है। उसका कारण इस प्रकार है शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से पञ्चमी पर्यन्त चन्द्रमा निर्वल होता है। इस कारण गृहरम्भ का फल अशुभ होता है। उसी प्रकार शुक्ल पक्ष पञ्चमी से सप्तमी पर्यन्त चन्द्रमा हीनवली होता है। और शुक्ल पक्ष अष्टमी से दशमी पर्यन्त चन्द्रमा मध्यवली होता है। और शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त चन्द्रमा वलबान होता है। इसीकारण शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त गृहरम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु नारद संहिता का लेखक के अनुसार शुक्ल पक्ष के एकादशी से पूर्णिमा पर्यन्त और कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा से पञ्चमी पर्यन्त गृहरम्भ का फल शुभ होता है। उसका कारण यह है की कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से पञ्चमी पर्यन्त चन्द्रमा वलबान होता है। इसीकारण कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा से पञ्चमी पर्यन्त गृहरम्भ हो सकता है।
तिथि के अनुसार गृहारम्भ फल विचार
हम सभी जानते है चंद्र मास मे ३० दिन होता है। उसमे कृष्ण पक्ष का १५ दिन और शुक्ल पक्ष का १५ दिन।
कृष्ण पक्ष का १५ दिन यथा १. प्रतिपदा, २. द्वितीया, ३. तृतीया, ४ .चतुर्थी, ५. पञ्चमी, ६ .षष्ठी, ७. सप्तमी, ८. अष्ठमी, ९. नवमी, १०. दशमी, ११. एकादशी, १२. द्वादशी, १३. त्रयोदशी, १४. चतुर्दशी १५. अमावस्या।
शुक्ल पक्ष का १५ दिन यथा १. प्रतिपदा, २. द्वितीया, ३. तृतीया, ४ .चतुर्थी, ५. पञ्चमी, ६ .षष्ठी, ७. सप्तमी, ८. अष्ठमी, ९. नवमी, १०. दशमी, ११. एकादशी, १२. द्वादशी, १३. त्रयोदशी, १४. चतुर्दशी, १५. पूर्णिमा।
अब हम तिथि के अनुसार गृहारम्भ का फल विचार करेंगे।
१. प्रतिपदा : शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा और वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार प्रतिपदा तिथि में गृह निर्माण करने से दुःख को प्राप्त होता हैं। वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी और वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से दरिद्रता को प्राप्त होता हैं। किन्तु वस्तुराजवल्लभ के लेखक मण्डन मिश्र के अनुसार इस तिथि मे गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं।
२. द्वितीया: वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार द्वितीया तिथि में गृह निर्माण करने से प्रशस्त होता हैं। वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। किन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि में पूर्वद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल द्वितीया तिथि में पश्चिमद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
३. तृतीया : वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न अनुसार तृतीया तिथि में गृह निर्माण करने से प्रशस्त होता हैं। वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि में पूर्वद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल तृतीया तिथि में पश्चिमद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
४. चतुर्थी : वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार चतुर्थी तिथि में गृह निर्माण करने से अमंगल होता हैं। वास्तुकल्पलता के लेखक ने अपनी पुस्तक मे भृगु मत के हिसाब से, इस तिथि में गृह निर्माण करने से अशुभ होता हैं। किन्तु वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी और वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से धननाश होता हैं। परन्तु शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शस्त्राघात होता हैं।
५. पञ्चमी: वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार पञ्चमी तिथि में गृह निर्माण करने से चित्तचांचल्य होता हैं। वास्तुराजवल्लभ के लेखक मण्डन मिश्र और वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं।किन्तु शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से उच्चाटन होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष पञ्चमी तिथि में पूर्वद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल पञ्चमी तिथि में पश्चिमद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
६. षष्ठी: शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा और वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार षष्ठी तिथि में गृह निर्माण करने से धननाश होता हैं। वास्तुराजवल्लभ के लेखक मण्डन मिश्र और वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं।
७. सप्तमी: वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार सप्तमी तिथि में गृह निर्माण करने से प्रशस्त होता हैं। किन्तु वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि में पूर्वद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल सप्तमी तिथि में पश्चिमद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
८. अष्ठमी: वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार अष्ठमी तिथि में गृह निर्माण करने से प्रशस्त होता हैं। किन्तु वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से उच्चाटन होता हैं। वास्तुकल्पलता के लेखक ने अपनी पुस्तक मे भृगु मत के हिसाब से, इस तिथि में गृह निर्माण करने से अशुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक के श्री टोडरमल्ल के अनुसार इस तिथि मे गृह निर्माण करने से उद्वास होता है।
९. नवमी: वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार नवमी तिथि में गृह निर्माण करने से अमंगल होता हैं। किन्तु वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से धान्य का नाश होता हैं। वास्तुकल्पलता के लेखक ने अपनी पुस्तक मे भृगु मत के हिसाब से इस तिथि में गृह निर्माण करने से अशुभ होता हैं।किन्तु शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा और वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शस्त्राघात होता हैं।
१०. दशमी: शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा और वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार दशमी तिथि में गृह निर्माण करने से चौरभय रहता हैं। किन्तु वास्तुराजवल्लभ के लेखक मण्डन मिश्र और वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष दशमी तिथि में उत्तरद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल दशमी तिथि में दक्षिणद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
११. एकादशी: शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा और वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार एकादशी तिथि में गृह निर्माण करने से राजभय रहता हैं।किन्तु वास्तुराजवल्लभ के लेखक मण्डन मिश्र और वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि में उत्तरद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल एकादशी तिथि में दक्षिणद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
१२. द्वादशी: वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार द्वादशी तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि में उत्तरद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल द्वादशी तिथि में दक्षिणद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
१३. त्रयोदशी :वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार त्रयोदशी तिथि में गृह निर्माण करने से प्रशस्त होता हैं। किन्तु वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि में उत्तरद्वार का गृह निषेद्ध हैं और शुक्ल त्रयोदशी तिथि में दक्षिणद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
१४. चतुर्दशी: वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार चतुर्दशी तिथि में गृह निर्माण करने से अमंगल होता हैं। ज्योतिष रत्नमाला के लेखक ने अपनी पुस्तक मे भृगु मत के हिसाब से इस तिथि में गृह निर्माण करने से अशुभ होता हैं।किन्तु शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शस्त्राघात होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक के श्री टोडरमल्ल के अनुसार इस तिथि मे गृह निर्माण करने से स्त्रीविनाश होता है।
१५. अमावस्या :वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार अमावस्या तिथि में गृह निर्माण करने से गृहस्वामी का नाश होता हैं। किन्तु वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी और वास्तुसौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से राजभय होता हैं।किन्तु शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से स्थाननाश होता हैं।वास्तुकल्पलता के लेखक ने अपनी पुस्तक मे भृगु मत के हिसाब, से इस तिथि में गृह निर्माण करने से अशुभ होता हैं।
१६. पूर्णिमा : शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा और वृहत शिल्पशास्त्र के लेखक दयानिधि खड़ीरत्न के अनुसार पूर्णिमा तिथि में गृह निर्माण करने से राजभय रहता हैं।किन्तु वास्तुराजवल्लभ के लेखक मण्डन मिश्र और वास्तुरत्नाकर के लेखक श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस तिथि में गृह निर्माण करने से शुभ होता हैं। परन्तु वास्तुसौख्य के लेखक के श्री टोडरमल्ल के अनुसार इस तिथि मे गृह निर्माण करने से शुभ होता है किन्तु पूर्वद्वार का गृह निषेद्ध हैं।
वार के अनुसार गृहारम्भ फल विचार
अब हम वार के अनुसार गृहरम्भ का फल विचार करेंगे।
हम सभी जानते है ज्योतिष शास्त्र मे वार सात है।
१. रविवार
२. सोमवार
३. मंगलवार
४. बुधवार
५. गुरुवार
६. शुक्रवार
और ७. शनिवार
१. रविवार: शिल्पशास्त्र का लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार रविवार के दिन गृह निर्माण करने से अग्नि का भय रहता है। इस मत का समर्थन राजमार्तंड का लेखक राजा भोज और बृहत शिल्प शास्त्र का लेखक करता है। किन्तु देवी पुराण का लेखक के अनुसार और दीपिका का लेखक के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करना अशुभ होता है। वास्तुरत्नावली के लेखक ने ज्योतिषरत्नावली के नाम से लिखा है की इस वार मे गृह निर्माण करना शुभ होता है।
२. सोमवार: शिल्पशास्त्र का लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार सोमवार के दिन गृह निर्माण करने से गृह मे कलह और द्ररिदता लगी रहता है। वास्तुरत्नावली के लेखक ने ज्योतिषरत्नावली के नाम से लिखा है की इस वार मे गृह निर्माण करना शुभ होता है। इस मत का समर्थन दीपिका का लेखक करता है। किन्तु राजमार्तंड का लेखक राजा भोज के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करने से अर्थलाभ होता है। परन्तु बृहत शिल्प शास्त्र का लेखक के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करना शुभ किन्तु गृह मे कलह और द्ररिदता लगी रहता है।
३. मंगलवार: शिल्पशास्त्र का लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार मंगलवार के दिन गृह निर्माण करने से गृह मे वज्रपात होता है। किन्तु देवी पुराण का लेखक के अनुसार और दीपिका का लेखक के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करना अशुभ होता है। परन्तु राजमार्तंड का लेखक राजा भोज के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करने से क्षति होता है। और बृहत शिल्प शास्त्र का लेखक के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करना मृत्यु का भय लगा रहता है।
४. बुधवार: शिल्पशास्त्र का लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार बुधवार के दिन गृह निर्माण करने से प्रशस्त्र होता है। वास्तुरत्नावली के लेखक ने ज्योतिषरत्नावली के नाम से लिखा है की इस वार मे गृह निर्माण करना शुभ होता है। इस मत का समर्थन दीपिका का लेखक, मुहूर्तदीपक का लेखक, राजमार्तंड का लेखक राजा भोज और दीपिका का लेखक करता है।
५. गुरुवार: शिल्पशास्त्र का लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार गुरुवार के दिन गृह निर्माण करने से प्रशस्त्र होता है। वास्तुरत्नावली के लेखक ने ज्योतिषरत्नावली के नाम से लिखा है की इस वार मे गृह निर्माण करना शुभ होता है। इस मत का समर्थन दीपिका का लेखक, मुहूर्तदीपक का लेखक, राजमार्तंड का लेखक राजा भोज और दीपिका का लेखक करता है।
६. शुक्रवार: शिल्पशास्त्र का लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार शुक्रवार के दिन गृह निर्माण करने से प्रशस्त्र होता है। वास्तुरत्नावली के लेखक ने ज्योतिषरत्नावली के नाम से लिखा है की इस वार मे गृह निर्माण करना शुभ होता है। इस मत का समर्थन दीपिका का लेखक, मुहूर्तदीपक का लेखक, राजमार्तंड का लेखक राजा भोज और दीपिका का लेखक करता है।
७. शनिवार: शिल्पशास्त्र का लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार शनिवार के दिन गृह निर्माण करने से धन का क्षय और शोक होता है। किन्तु दीपिका का लेखक के अनुसार इस वार को गृह निर्माण करने से अशुभ होता है। परन्तु मुहूर्तदीपक का लेखक के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करने से शुभ होता है। बृहत शिल्प शास्त्र का लेखक के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करनें से गृह स्वामी शोकातुर रहता है। और राजमार्तंड का लेखक राजा भोज के अनुसार इस वार मे गृह निर्माण करने से भय रहता है।
उपस्कारक ग्रंथ
- दीपिका वा शुद्ध दीपिका : महामहोपाध्याय श्रीनिवास प्रणीत कन्हेयालाल मिश्र टिका, खेमराज श्रीकृष्णदास, मुंबई, संस्करण २००८ ई।
- मुहूर्त दीपक : श्रीमहादेव भट्ट, सम्पादका एबं अनुवादक डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी, संस्करण २००६ ई।
- वास्तुरत्नावली : श्रीजीवनाथ झा, टीकाकार श्रीमदच्युतानन्द झा , चौखम्बा अमरभारती प्रकाशन, वाराणसी, संस्करण १९८१ ई।
- बृहत शिल्पशास्त्र : दयानिधि खड़ीरत्न, धर्मग्रन्थ स्टोर, कटक, संस्करण २००२ ई।
- सम्पूर्ण वास्तुशास्त्र : डॉ. निमाई बेनर्जी और रमेशचंद्र दाश, ज्ञानयुग पब्लिकेशन, भुबनेश्वर, संस्करण २०१४ ई।
- शिल्पशास्त्र : बाउरी महाराणा कृत, सम्पादक एबं व्याख्याकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगुनू, चौखम्बा संस्कृत सीरीज, वाराणसी, संस्करण २००६ ई।
- शिल्पशास्त्र : बाउरी महाराणा, सम्पादका एबं अनुवादक डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस , वाराणसी संस्करण २००६ ई।
- वस्तुराजबल्लभ : श्रीमंडन सूत्रधार, रामयत्न ओझा, मास्टर खिलाडी लाल, वाराणसी, संस्करण १९९६ ई।
- वास्तुरत्नाकर : श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी, संस्करण २०१२ ई।
- वास्तु सौख्य : श्री टोडरमल्ल, सम्पादका एबं ब्याख्याकार: श्री कमला कांत शुकला, संपूर्णनंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वारणशी, संस्करण २०१० ई।
- वास्तुकल्पलता : डॉ. हरिहर त्रिवेदी, चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, वारणशी, संस्करण २००७ ई।
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