भारतीय ज्योतिष मे नक्षत्र २७ प्रकार के होते है
१. अश्विनी, २. भरणी, ३. कृत्तिका, ४. रोहिणी,५. मृगशिरा, ६. आद्रा, ७. पुनर्वसु, ८. पुष्या, ९. आश्लेषा, १०. मघा, ११. पूर्वा फाल्गुनीम, १२. उत्तरा फाल्गुनी, १३. हस्त, १४. चित्रा, १५. स्वाती, १६. विशाखा, १७. अनुराधा, १८. ज्येष्ठा, १९. मूल, २०. पूर्वाषाढा, २१. उत्तराषाढ़ा, २२. श्रवणा, २३. धनिष्ठा, २४. शतभिषा, २५. पूर्वा भाद्रपद, २६. उत्तरा भाद्रपद, २७. रेवती।
अब हम प्रत्येक नक्षत्र के अनुसार गृहारम्भ का फल विचार करेंगे।
१. अश्विनी: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र और वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार अश्विनी नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रवास होता हैं।
२. भरणी: वास्तु प्रदीप के लेखक अनुसार भरणी नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रवास होता हैं।
३. कृत्तिका : वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार कृत्तिका नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल उद्वेग होता हैं।
४. रोहिणी: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार रोहिणी नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल उद्वेग होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं।
५. मृगशिरा: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल उद्वेग होता हैं।
६. आद्रा: ज्योतिस्सागर के के लेखक के अनुसार आद्रा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किंतु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल पुत्रप्राप्ति होता हैं।
७. पुनर्वसु : ज्योतिस्सागर के के लेखक के अनुसार पुनर्वसु नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल पुत्रप्राप्ति होता हैं।
८. पुष्या: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार, ज्योतिस्सागर के के लेखक के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार पुष्या नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल पुत्रप्राप्ति होता हैं।
९. आश्लेषा: ज्योतिस्सागर के लेखक के अनुसार आश्लेषा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल धनाप्ति होता हैं।
१०. मघा: शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार और ज्योतिस्सागर के लेखक के अनुसार मघा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल धनाप्ति होता हैं।
११. पूर्वा फाल्गुनी: ज्योतिस्सागर के लेखक के अनुसार पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल धनाप्ति होता हैं।
१२. उत्तरा फाल्गुनी: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार, और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शोक होता हैं।
१३. हस्त: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार, और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार हस्त नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शोक होता हैं।
१४. चित्रा: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार, और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार चित्रा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता है। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शोक होता हैं।
१५. स्वाती: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार स्वाती नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शत्रुभय होता हैं।
१६. विशाखा: वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार विशाखा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शत्रुभय होता हैं।
१७. अनुराधा: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार अनुराधा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शत्रुभय होता हैं।ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं।
१८. ज्येष्ठा: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार और शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किंतु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल राजभय होता हैं।
१९. मूल: वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार मूल नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल राजभय होता हैं।
२०. पूर्वाषाढा: वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार पूर्वाषाढा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल राजभय होता हैं।
२१. उत्तराषाढ़ा: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार उत्तराषाढ़ा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल मृत्यु होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं।
२२. श्रवणा: शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार और राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार श्रवणा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल एबं पराशर मतो मे शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल मृत्यु होता हैं।
२३. धनिष्ठा: राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल मृत्यु होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं।
२४. शतभिषा: राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार शतभिषा नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल सुख होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं।
२५. पूर्वा भाद्रपद: ज्योतिस्सागर के लेखक के अनुसार पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किंतु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल सुख होता हैं।
२६. उत्तरा भाद्रपद: वास्तुराजवल्लभ के लेखक श्री मण्डन मिश्र के अनुसार, राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, वास्तु गोपाल के लेखक के अनुसार, मुहूर्तदीपक के लेखक श्रीमहादेव भट्ट के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल सुख होता हैं। ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं।
२७. रेवती : राजमार्त्तण्ड के लेखक राजा भोज के अनुसार, शिल्पशास्त्र के लेखक बाउरी महाराणा के अनुसार, मुहूर्तगणपति के लेखक के अनुसार, मुहूर्तचिंतामणि के लेखक श्रीरामाचार्य के अनुसार और वास्तुकल्पलता मे गर्ग मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार रेवती नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल शुभ होता हैं। किन्तु वास्तु सौख्य के लेखक श्री टोडरमल्ल ने पराशर मत का संग्रह किया है, उसके के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल लक्ष्मी प्राप्ति होता हैं। परन्तु वास्तु प्रदीप के लेखक के अनुसार और ज्यातिर्निवंध के लेखक के अनुसार इस नक्षत्र मे गृहारम्भ का फल प्रशस्त्र होता हैं।
उपस्कारक ग्रंथ वास्तु
- बृहद वास्तुमाला : श्री रामनिहोर द्विवेदी, संपादक डॉ. ब्रह्मानंद त्रिपाठी एबं डॉ. रवि शर्मा, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
- वास्तुरत्नाकर :श्री विन्ध्यास्वारी प्रसाद द्विवेदी, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस , वाराणसी २०१२ ई।
- शिल्पशास्त्र :बाउरी महाराणा, सम्पादका एबं अनुवादक डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस , वाराणसी २००६ ई।
- मुहूर्त दीपक :श्रीमहादेव भट्ट, सम्पादका एबं अनुवादक डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस , वाराणसी २००६ ई।
- मुहूर्त चिंतामणि :श्रीरामाचार्य, व्याख्याकार महीधर शर्मा,खेमराज श्रीकृष्णदास, मुंबई , २००८ ई।
- ज्योतिष रत्नमाला:श्रीपति भट्टाचार्य, डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली २००४ ई।
- वास्तु सारणी :श्री श्री मातृप्रसाद पाण्डेय, मास्टर खेलाडी लाल संकटा प्रसाद, वारणशी, २०१३ ई।
- वस्तुराजबल्लभ :श्रीमंडन सूत्रधार रामयत्न ओझा, मास्टर खिलाडी लाल, वाराणसी, संस्करण १९९६ ई।
- वास्तुकल्पलता :डॉ. हरिहर त्रिवेदी ,चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, वारणशी, संस्करण २००७ ई।
- वास्तु सौख्य :श्री टोडरमल्ल, सम्पादका एबं ब्याख्याकार: श्री कमला कांत शुकला , संपूर्णनंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वारणशी, संस्करण २०१० ई।
- सम्पूर्ण वास्तु शास्त्र :डॉ निमाई वानारजी , रामचंद्र दास, ज्ञानजूग पब्लिकेशन, भुबनेश्वर।
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